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Biography of Irrfan Khan in Hindi - Irrfan Khan Death Shocking

Biography of Irrfan Khan in Hindi - Irrfan Khan Death Shocking

Biography of Irfan Khan in Hindi - Irfan Khan Death Shocking

Biography of Irrfan Khan in Hindi  Irrfan Khan Death Shocking

हेलो मेरे प्यारे दोस्तों कैसे है आप सब आशा करता हु आप सब अच्छे होंगे। पर दोस्तों आज  में कुछ अच्छा नहीं इसकी वजह है The Great Irrfan Khan Death Shocking News. हाँ दोस्तों जैसे की हम सभी को पता चला है की अब इरफान खान इस दुनिया में नहीं रहे वह हम सभी को अलविदा कहे गए। हमने कभी उम्मीद नहीं की थी की इरफान खान इस तरीके से इतनी जल्दी हम सब को अलविदा कहे जायेंगे। मेने दिल से कहा ले आना ख़ुशी। कम्बख्त लाया गम तो ये गम ही सही। यह गाना इरफान खान की लाजवाब मूवीज में से एक मूवी का है। और यह गाना आज कुछ इस कदर इर्र्फान खान की याद दिला रहा है मनो जैसे वह कही गए ही ना हो। वह यही हमारे बिच मौजूद हो। Biography of Irrfan Khan in Hindi is such a very inspirational story.

उनके जाने के बाद  इस गाने के बोल जाने नजाने आखे नम कर देने वाला है। Irrfan khan death हम सब के लिए बेहद दुखद सुचना है। 2018 में इरफान खान ने मीडिया में सब के सामने बताया था की उनको ब्रेन ट्यूमर है। किसी प्रकार का कैंसर है। और तभी से इरफान खान का इलाज चल रहा था। इर्र्फान खान न केवल एक बाकमाल एक्टर बल्कि एक बेहद अच्छे क्रिकेटर भी थे। 

बॉलीवुड जहा हमेशा ऐसा बोला जाता है की यहाँ एक्टर्स के बच्चो को ही मौका मिलता है। वहा इन्होने अपनी जगह बनाई। बहेतरीन एक्टिंग के चलते इर्र्फान खान ने ना केवल बॉलीवुड बल्कि हॉलीवुड में भी अपनी छाप छोड़ी है। इरफान खान का बचपन भी बोहोत अभावो में बिता। परन्तु इसके उन्होंने कभी हार मानना नहीं सीखा।

बेहद बाहदुरी से लगभग 2 साल तक कैंसर से लड़े बस कैंसर से जित ना पाए। इसके अलावा यदि बात की जाये इनके करियर की तो वह बाकमाल लाजवाब रहा। आज हम Biography of Irrfan Khan पढ़ेंगे यह हमारा ग्रेट इरफान खान को एक भाव पूर्वक श्रद्धांजलि है। Top Hindi Kahani इरफान खान को श्रद्धा पूर्वक नमन करती है।

Irfan Khan Birth and Family 

  • Real Name:- Sahabzade Irfan Ali Khan
  • Born Day:- 7 January 1967
  • Death:- 29 April 2020
  • Age:- 53
  • Birth Place:- Jaipur, Rajasthan into a Muslim family
  • Fathers Name:- Jagirdar Yaseen Ali Khan
  • Mothers Name:- Saeeda Begum Khan
  • Siblings Name:-  Imran Khan (Brother), Salman Khan (Brother), Rukhsana Begum (Sister)
  • Wife:- Sutapa Sikdar
  • Childs:- Babil Khan (Daughter) Ayan Khan (Son)

Irfan Khan childhood Early Life & Education

Biography of Irrfan Khan का जनम राजिस्थान के निम्न मध्यम वर्ग परिवार में 7 जनवरी 1967 में हुआ था। उनका पूरा नाम साहबज़ादे इरफ़ान अली खान था (Sahabzade Irfan Ali Khan) इरफान खान जी के पिता स्वर्गीय जागीरदार जोकि पेशे से एक टायर बेचने का काम किया करते थे। इरफान खान जी की माता जी का नाम स्वर्गवासी सईदा बेगम था। इरफ़ान खान का जनम भले ही पठान परिवार में हुआ था। परन्तु वह बचपन से ही शाकाहारी थे। और इसी पर उनके पिता हस्ते हुए बोला करते थे की पठानों के घर में एक पंडित ने जनम लिया है।

इनके पिताजी को शिकार करने का शौक हुआ करता था।  इरफान खान अपने  इंटरव्यू में बताते हैं  जब वह छोटे थे उस समय एक मूवी आई थी जिसका नाम था जुरासिक वर्ल्ड परंतु आर्थिक तंगी के चलते उनके पास इतने पैसे नहीं थे कि वह मूवी देख सके। और हाल ही में हुई रिलीज जुरासिक वर्ल्ड में इन्होंने उस जुरासिक पारक के मालिक होने का रोल अदा किया। 

राजस्थान में  जन्मे इरफान खान  बताते हैं एक्टिंग उनके लिए सर्व परी अहमियत थी ।  मानो उन्होंने एक्टिंग को अपने जीने मरने का सवाल बना दिया था । उन्होंने मानो जैसे की एक्टिंग के सिवा कुछ और करने का सोचा ही नहीं था। परंतु बचपन से  इरफान खान  बहुत शर्मीले किस्म के बच्चे थे। वह यहां तक बताते हैं कि वह अपने स्कूल के समय में सबसे पीछे वाली बेंच पर बैठा करते थे । यहां तक कि कोई भी टीचर उन पर ध्यान नहीं दिया करता था। 

इरफान खान अपनी 7 साल की उम्र के 1 वाक्य का वर्णन करते हुए बताते हैं कि जब वह 7 साल के थे तब एक कटी पतंग को पकड़ने के चलते वह छत से नीचे गिर गए। और वह जब नीचे गिरे तो उनकी हड्डियां टूट गई पूरी बॉडी में कई जगह हड्डियों में मोड़ा आ गया। लगभग दो-तीन साल तक उनका इलाज चला। परंतु इसके बावजूद उन चोटों का असर ता उम्र रहा। क्योंकि सब बच्चेउन्हें टेढ़ी उंगली, सही से ना चलने वाला लड़का कहकर बुलाने लगे। जिस वजह से उनके आत्मविश्वास को बोहोत ठेस पहोची।

इरफान खान की माता जी चाहती थी की इरफान खान पढ़ लिख कर कॉलेज के लेक्चरर बन जाये। अपनी स्कूलिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने अपनी ग्रेजुएशन आर्ट्स में की। और उर्दू में पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई शुरू कर दी। पर जब वह 11th क्लास में थे तब वह स्कूल के बाद अपने दोस्तों के साथ जयपुर के मशहूर मूवी हॉल में जाया करते थे। वहा वह नसीरुद्दीन शाह और दिलीप कुमार की फिल्मो से प्रभावित थे। जिस वजह से वह भी एक्टर बनना चाहते थे। 

अपनी युवा उम्र तक आते आते इरफ़ान खान नाटकों और फिल्मो से रुबा रु हो चुके थे। और उन्होंने जयपुर में ही कई ड्रामा में भाग लिया। और जब वह ड्रामा में भाग लेकर बोर हो चुके थे तो उन्होंने फैसला किया कि वह दिल्ली जाकर नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा में इस कला में और मास्टरी हासिल करेंगे।

इरफान बताते थे की जब वह अपने कैरियर की शुरुआत कर रहे थे। तब वह सिर्फ इस बात से डरते थे की वह जो काम कर रहे वो उससे बोर ना हो जाये ऐसा इसलिए क्यों की इरफ़ान का स्वाभाव किसी भी काम में जल्दी बोर हो जाने वाला था। जिस वजह से वह हमेशा कुछ नया करने की कोशिश करते रहते। इसी समस्या को दूर करने के लिए वह हमेशा एक्टिंग करने को त्यार रहते क्यों की एक्टिंग में वह कोई भी किरदार कर सकते थे।

इरफान बताते है की वह दिखने में कुछ जायदा खूबसूरत नहीं थे पतला दुबला शरीर और मुख पर कोई खास नूर नहीं था। 


जब इरफ़ान की उम्र महज 19 साल थी तब उनके पिताजी का देहांत हो गया। उस समय उनकी जिंदगी में मानो अनहोनी घट चुकी थी। अब उनके पास दो रास्ते थे या तो वह अपने सपनो की क़ुरबानी देके अपने पिताजी का टायर का बिज़नेस संभाल के अपने परिवार का ध्यान रखे या फिर अपने सपनो को पर लगाने के लिए दिल्ली चले जाये।

Biography of Irrfan Khan in Hindi जब उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था तब उनके छोटे भाई ने उनसे कहा की आप दिल्ली चले जाइये यहाँ में सब संभाल लूंगा और वह अपने छोटे भाई के भरोसे अपने परिवार को छोड़ के दिल्ली चले गए जहा उन्होंने नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा में एडमिशन ले लिया। और वहा उन्होंने सीखा की कैसे एक किरदार को बनाया जाता है और खुद को उस किरदार में ढाला जाता है।

बेहिसाब एक्टिंग से प्यार होने के चलते वह हमेशा अपनी एक्टिंग में डुभे रहते थे हमेशा स्क्रिप्ट उनके हाथ में हुआ करती थी। नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा में उनकी मुलाकात कुछ उन लोगो से हुई जो पूरी उम्र उनके साथ रहे और जिन्होंने उनकी जिंदगी में बड़े बदलाव लाये। उनमे से एक थे तिग्मांशु धुलिया (Tigmanshu Dhulia) और यही इरफ़ान की मुलाकात उनकी होने वाली फ्यूचर वाइफ से भी हुई जोकि Irrfan khan wife बनने वाले थे।

ऐसा कहा जाता है जब इरफ़ान के दोस्त थक कर बहार पार्टीज़ में जाया करते थे तब भी इरफ़ान अपनी रिहर्सल करते रहते। पर शुरू के पहले साल वह कुछ खास कलाकार नहीं थे। उनकी कलाकारी तीसरे साल में निखर कर आई। एक्टिंग ड्रामा मानो उनकी बचपन से दबी हुई जिंदगी को बहार ला रहा था। मानो उनको जिंदगी जीने का तरीका मिल गया था।

Irrfan Khan Struggling Phace

Biography of Irrfan Khan in Hindi Irrfan Khan Death Shocking

एक दिन नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा में मीरा नैर (Mira Nair) आई जोकि एक बहेत्रिन डायरेक्टर थी। उस समय वह एक मूवी बना रहे थे जिसका नाम था सलाम बॉम्बे (Salam Bombay) जोकि 1988 में रिलीज़ हुई थी जिसमे नाना पाटेकर (Nana Patekar) एक लीड रोले में थे। उसी मूवी की कास्टिंग करते हुए मीरा ने इरफ़ान को चुन लिया।

उनको फिल्म में चुने जाने की ख़ुशी में इरफ़ान मानो आसमान छूने के सपने देख बैठे थे। और जीतोड़ महेनत करने लगे। पर जब मूवी रिलीज़ हुई इरफ़ान को पता चला की उनका रोल काट दिया गया है। यह देख इरफ़ान को बेहद दुख पोहचा। उसके बाद उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी करी और फिर गोविन्द निहलानी (Govind Nihalani) जोकि एक प्रोडूसर थे। उन्होंने इरफ़ान को मुंबई बुला लिया।

मुंबई पोहोचने के बाद इरफ़ान बताते है की वह रोज ऑडिशन देने जाते थे और हर बार उन्हें रिजेक्ट कर दिया जाता था। कई दफा ऐसा भी होता था की जब इन्हे बुला कर बिना ऑडिशन लिए भेज दिया जाता था। मुंबई में रहते हुए उनको कोई रोल नहीं मिल रहा था जिस वजह से वह बोहोत परेशान रहा करते थे उनके पास रखे पैसे भी धीरे धीरे ख़तम होते जा रहे थे। 

Career Turning Point in Irfan Khan Life 

Beginnings As a TV Actor

अपना खर्चा उठाने के लिए इरफ़ान सुरवात में कुछ सीरियल किया करते थे। उन्होंने दूरदर्शन पर एक टेलीप्ले में लला घास पर निले घोडे शीर्षक में एक रोल किया। जो की मिखाइल शत्रोव द्वारा एक रूसी नाटक के उदय प्रकाश के अनुवाद पर आधारित था। फिर उन्हें धारावाहिक सीरियल डर में मुख्य भूमिका निभाई जिसमे उन्हें एक साइको किलर के रूप में कास्ट किया गया था।

Biography of Irrfan Khan in Hindi की सुरवात तब हुई जब इरफ़ान खान ने 1990 के दशक में कई टेलीविज़न धारावाहिकों में अभिनय किया, जिनमें से चाणक्य, भारत एक ख़ोज, सारा जहाँ हमरा, बनगी अपना घर, चंद्रकांता, श्रीकांत, दूरदर्शन पर अनुगूंज, और द ग्रेट मराठा ऑन डीडी मुख्य रहे। इसी के साथ इरफ़ान खान  ने 1998 में, संजय खान के धारावाहिक जय हनुमान में वाल्मीकि की भूमिका निभाई।

पर इरफ़ान टीवी सीरियल करना नहीं चाहते थे। क्युकी उन्होंने मूवीज में एक्टिंग करने का सपना संझोके रखा था। पर सं 2000 तक आते आते इरफ़ान केवल टीवी सीरियल में ही छोटे छोटे रोल कर रहे थे। इरफ़ान बताते है की जब डायरेक्टर्स ने फ़ोन उठाना बंद कर दिया तब इनको बेहद गुस्सा आता और हताश होक अपने घर लौटने की बात सोचा करते। पर इरफ़ान के टैलेंट का लोहा बनना अभी बाकि था।

Breakthrough and Become National Star

अब यहाँ दोस्तों हम Irrfan khan movies का वर्णन करेंगे। 2001 में आई द वारियर में आसिफ कपाड़िया ने इन्हे मुख्य भूमिका दी, जो एक ऐतिहासिक फिल्म बनी। द वारियर अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों में भी नॉमिनेट हुई। 

परन्तु उनकी बॉलीवुड फिल्म 2005 में रोग के साथ आई लीड भूमिका में इरफ़ान खान ने अपनी एक्टिंग का ऐसा परिचय दिया की सब लोग ने इरफ़ान में बॉलीवुड का उभरता सितारा देख लिया था। बस यहाँ से इरफ़ान ने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा। इसके बाद, उन्होंने  कई फिल्मों में प्रमुख भूमिका निभाते हुए एक खलनायक के रूप में सहायक भूमिका निभाई।

Big Turning Point

दोस्तों अब बारी थी इरफ़ान के जीवन में बड़े मोड़ के आने की जब उन्होंने अपने दोस्त तिग्मांशु धुलिया द्वारा 2003 में आई हासिल में लीड रोल किया जिस वजह से वह उन्होंने सर्वश्रेष्ठ खलनायक का फिल्मफेयर पुरस्कार जीता। उसके बाद इरफ़ान ने 2004 में आई मक़बूल में अपनी एक्टिंग की छाप छोड़ी। 

उसके बाद 2007 में आई कमाल की मूवी लाइफ इन आ मेट्रो में भी अपनी भूमिका निभाई। जिसमे उन्हें बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का फिल्मफेयर अवार्ड मिला। 

इरफ़ान अपने इंटरव्यू में बताते है जब उन्हें मूवीज में कोई रोल नहीं मिल रहा था तब वह निराश होक तिग्मांशु धुलिया से अपने घर राजिस्थान जाने की बात कहते है इतने में तिग्मांशु धुलिया बोलते है चले जाना पर नेशनल अवार्ड लेने के बाद। 

अब उनके जीवन में बारी थी नेशनल अवार्ड लेने की हासिल के लिए तो इरफ़ान को नेशनल अवार्ड नहीं मिला परन्तु उसके बाद आई सदी की बहेत्रिन फिल्म पान सिंह तोमर (Paan Singh Tomar) जो 2011 में रिलीज़ हुई। जिसके लिए इरफ़ान को नेशनल अवार्ड मिला। इरफ़ान बताते है की पान सिंह तोमर बनाने में लगभग 7 साल लग गए थे क्युकी उस समय इंटरनेट पर इसकी कोई जानकारी उपलब्ध नहीं थी और ना ही  लिखी गयी थी। थे तो केवल पुलिस रिकॉर्ड। इस मूवी की परमोशन में भी जायदा कुछ नहीं किया गया था केवल एक पोस्टर लांच किया गया था। 

इसके बाद इरफ़ान ने एक के बाद एक बहेतरीन मूवीज दी। 2013 में आई लंच बॉक्स (Lunch Box), 2014 में हैदर (Haider), 2015 में आई पीकू (Piku) और तलवार (Talvar), 2016 में आई मदारी (Madaari), 2017 की हिंदी मेडियम (Hindi Medium) जोकि इंडिया और चाइना में बोहोत सफल मूवी साबित हुई जिसके लिए इरफ़ान को कई सारे अवार्ड्स से नवाजा गया।

और हाली में आई 2020 में अंग्रेजी मीडियम (Angreji Medium)। जिसमे इरफ़ान ने एक पिता का रोल किया है। इरफ़ान ने अपने लास्ट ऑडियो में बताया था की वह इस मूवी के लिए बेहद उत्सुक थे। उनका कहना था की जिस प्रकार उन्होंने इस मूवी को बनाने में अपनी महेनत लगाई है उसी प्रकार वह इस मूवी का प्रमोशन भी करना चाहते थे। परन्तु तबियत ठीक ना होने की वजह से वह इस फिल्म की परमोशन नहीं कर पाए। 

बॉलीवुड के अलावा इरफ़ान खान हॉलीवुड में भी अपनी एक्टिंग का परिचय दे चुके है। उन्होंने कई मशहूर मूवीज में काम किया है। 

इरफ़ान ने अपना नाम Irfan से बदलकर Irrfan कर लिया था। उन्होंने ऐसा इसलिए किया क्यों की उनको अपने नाम में डबल र (R) सुनना अच्छा लगता था।

Biography of Irrfan Khan in Hindi Irrfan Khan Death Shocking

Irrfan Khan Award List

YearAwardNominated workCategoryResult
2004Filmfare AwardsHaasilBest Performance in a Negative RoleWon
2007Independent Spirit AwardsThe NamesakeBest Supporting MaleNominated
2008Filmfare AwardsLife in a... MetroBest Supporting ActorWon
2011Padma ShriArtsWon
2013National Film AwardsPaan Singh TomarBest ActorWon
2013Filmfare AwardsPaan Singh TomarBest ActorNominated
2013Filmfare AwardsPaan Singh TomarBest Actor (Critics)Won
2014Asian Film AwardsThe LunchboxBest ActorWon
2018Filmfare AwardsHindi MediumBest ActorWon
2018Filmfare AwardsHindi MediumBest Actor (Critics)Nominated

Irrfan Khan Death and Illness 

Irrfan khan death जोकि हम सब के लिए बेहद दुखद सुचना रही। इरफ़ान ने मार्च 2018 में अपने ऑफिसियल ट्विटर अकॉउंट से एक ट्वीट के माध्यम से बताया था की उन्हें न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर नाम की गंभीर बीमारी है। उन्होंने फरवरी 2019 में वापसी के लिए एक वर्ष के लिए ब्रिटेन में उपचार की मांग की।

इरफ़ान को 28 अप्रैल 2020 को मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, शोधकर्ताओं के अनुसार पता चला की वहा उन्हें पेट के संक्रमण का इलाज मिलने लगा। संक्रमण के कारण खान की मृत्यु 53 वर्ष की आयु में हो गयी। और Biography of Irrfan Khan in Hindi की करियर का समापन हो गया। और ऐसे इरफ़ान खान हम सभी को अलविदा कहे के हम सब से दूर चले गए। पर बोलते है ना महान आत्माओ का कभी अंत नहीं होता। Top Hindi Kahani द्वारा इरफान खान जी की आत्मा को प्यार भरी श्रद्धांजलि।

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